पिता-पुत्र में विरासत को लेकर विवाद हो चुका है । विरासत बेटे को दे दी गयी 2015 में । अब विजयपत को लगता है कि गौतम उम्मीदों पर खरे नही निकले। आज विजयपत किराए के मकान में रह रहे हैं। उन्होंने अपनी बायोग्राफी का नाम भी “द इनकम्प्लीट मैन’ रखा। इधर गौतम को लगा कि इसमें उनके खिलाफ ही लिखा जाएगा, इस पर रोक के लिए वे बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंच गए, लेकिन याचिका खारिज हो गई। विवाद पर दोनो ने क्या कहा
81 वर्षीय विजयपत कहते हैं, ‘‘5 हजार करोड़ की कंपनी बेटे को सौंप दी। कम से कम कुछ तो इज्जत करता, वह मेरी बिल्कुल इज्जत नहीं करता। एक पैसा न मैंने मांगा है और न ही उसने दिया। मैं मेहरबानी नहीं, कानूनी अधिकार मांग रहा हूं। मैंने कोर्ट में माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक रखरखाव और कल्याण अधिनियम-2007 के तहत बेटे को दी संपत्ति वापस दिलाने की कोर्ट से गुहार लगाई है। अभी सुनवाई चल रही है।
‘‘गौतम को जो बोलना है बोले। मैं संपत्ति बेटी को दे दूं, फेंक दूं या चैरिटी में दे दूं। हो सकता है कि मैं अपनी सारी संपत्ति बड़े बेटे को दे दूं। यह भी हो सकता है कि मैं किसी मंदिर में दान कर दूं। गौतम को इससे क्या मतलब होना चाहिए। उसका इससे कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए। इसलिए वह मेरी बेटी के बारे में जो कुछ भी कह रहा है वह निराधार है।’’
गौतम के साथ कभी सुलह नहीं हो सकती। जिस दिन वह पिता की इज्जत करेगा, उस दिन जरूर हो जाएगी। मेरे पास रिकॉर्डिंग है कि उसने मुझे लेकर किस तरह से गलत शब्दों का इस्तेमाल किया है। उसने इतने अपशब्द इस्तेमाल किए हैं कि मैं बता भी नहीं सकता हूं। बस इतना कह सकता हूं कि कोई भी सभ्य बेटा अपने पिता के बारे में ऐसे शब्द कभी भी इस्तेमाल नहीं कर सकता।’’
गौतम कहते हैं, ‘‘पिता के साथ विवाद सुलझाने की कई कोशिशें की। आज भी यही चाहता हूं, लेकिन सकारात्मक जवाब नहीं मिला। पिता की ओर से मुझ पर तुच्छ, हास्यास्पद, निराधार व गैर-जिम्मेदाराना आरोप लगाए गए हैं। मैं इनसे बहुत दुख व पीड़ा महसूस करता हूं। पिता की जेके हाउस में डुप्लेक्स फ्लैट की मांग मैंने नहीं, बल्कि कंपनी के शेयरधारकों ने ठुकराई। मैं रेमण्ड का चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर हूं। शेयरधारकों के प्रति मेरी जवाबदेही बनती है।’
‘‘मेरे पिता भी मामले को सौहार्द्रपूर्ण ढंग से सुलझाना चाहते हैं। मगर मेरी बहन व कुछ लोग विवाद सुलझाने नहीं दे रहे हैं। भगवान बालाजी पर मेरी अटूट आस्था है, उन पर भी टिप्पणी की जा रही है।’ दरअसल, विजयपत ने कहा था कि गौतम अगर कोर्ट में भगवान तिरुपति की तस्वीर पर हाथ रख कर कहे कि मैं जो कह रहा हूं वह झूठ है, तो मैं केस वापस ले लूंगा।’’
‘मैंने और पिता ने साथ बैठकर एक समझौता पत्र आपसी सहमति से तैयार किया हुआ है। मैं इस समझौता पत्र पर पहले हस्ताक्षर करने के लिए तैयार हूं। इसके अलावा यह समझौता पत्र मैं उस सक्षम व्यक्ति को देने को भी तैयार हूं, जो मेरी इस सकारात्मक पहल के जवाब में मेरे पिताजी के भी हस्ताक्षर उस समझौते के सहमति पत्र पर कराकर ला सके।’’