5 जुलाई 2020,
बकलोल बोल
बिग ब्रेकिंग….
-बड़े दिनों बाद गुरु घण्टाल दिखे बड़े, बड़ी तेजी में दिख रहे थे। मैने अनायास ही पूछ लिया कि और गुरु क्या नया, कहा जा रहे ? गुरु ने भी लपककर जबाब दिया कि मीडिया सेंटर जा रहा हूँ पत्रकार बनने की प्रोसेस करने। यह सुनकर मैं थोड़ा चौक गया और उन्होंने बैतूल में पत्रकार बनने को लेकर जो कहा वह सुनकर आंखे खुली रह गई।
गुरु घण्टाल से हुई वार्ता के प्रमुख अंश..
प्रश्न: – गुरु भला तुम पत्रकार ही क्यो बनना चाहते हो?
गुरु:- यही एक ऐसा पेशा जिसमे कुछ नही लगता, कोई भी फोकट चन्द, जो कोई काम नही कर सकता वो भी पत्रकार बन सकता है।
प्रश्न:- गुरु तुम पत्रकार बनोगे कैसे यह तो बताओ?
गुरु:- पत्रकार बनना कौन सा मुश्किल काम है चार दिन मीडिया सेंटर में कुर्सियां तोड़ेंगे या किसी महान पत्रकार की चार दिन संगत करेंगे या फिर चार पैग, दो एग और एक लैग की गुरु दक्षिणा देंगे और बन जाएंगे पत्रकार।
प्रश्न: पर गुरु पत्रकार बनने के लिए खबर लिखना पढ़ना भी तो आना चाहिए?
गुरु:- कक्षा पांचवी में मैने भी गाय पर निबंध लिखा पढा, कौन सा मुश्किल काम है, बाकी तरह मैं भी गाय पर निबंध लिख ही लूंगा, वैसे भी गाय पर निबंध और खबर में अंतर बचा है क्या?
प्रश्न: – गाय पर निबंध लिखोगे कहा यह भी बता दो?
गुरु:- लिखने के लिए कही कोई स्पेस की कमी नही, कोई बाहर के अखबार की दस बीस कॉपी की एजेंसी ले लूंगा, अपना ही पेपर रजिस्टर्ड करवा लूंगा, कुछ नही तो दो सौ रुपए का डोमिन लेकर पोर्टलबाजी कर लूंगा । बहुत ही सस्ता कुछ करना होगा तो फेसबुक पेज की दुकान खोल लूंगा।
प्रश्न:- पर गुरु तुम पत्रकार बन कर करना क्या चाहते?
गुरु: – मैं कोई अलग थोड़े ही करने आ रहा , ज्यादा कुछ थोड़े ही करना है, प्रभावशाली अफसर नेता या लोगो की भांडगिरी करो, कमजोर पर आंख तरेरे और गणित जमाओं?
प्रश्न :- गुरु पत्रकार बनने में अर्थ व्यवस्था का क्या होगा?
गुरु:- इसमे क्या है बड़ा आसान है एक बार पत्रकार का टैग मिला तो भिक्षु डायरी, फाकिरा फंड,खैराती रजिस्टर या दयालु बही में नाम लिखवा लूंगा। नही तो जुआबाजार जैसे संस्थान के लिए मीडिया मैनेजर जैसा काम तो मिल ही जाएगा। फिर आरटीआई भी तो है न।
प्रश्न: गुरु पर पत्रकार बनने में कुछ तो योग्यता लगती होगी ?
गुरु:- काहे की योग्यता, जो भी पत्रकार का तमगा लटका कर घूम रहे सबकी एक लिखित परीक्षा लेकर 200 कैरेक्टर की खबर लिखवा कर देख लो समझ आ जाएगा कि आधे तो गाय पर निबंध लिखने लायक भी नही। कुछ तो मुंह से ही काम चला ले रहे?
प्रश्न: गुरु क्या बात कर रहे, कुछ तो इथिक्स होंगे पत्रकारिता के
गुरु: अब काहे के इथिक्स। सब धंधा है मेरे भाई, दलाली से लेकर भिक्षावृत्ति तक ही सब घूम रहा।
प्रश्न: मतलब गुरु मनोगे नही बनोगे ही पत्रकार ?
गुरु:- ऐसे वैसे बन गए, कैसे कैसे बन गए। फिर स्वर्गीय प्रेम गोंड को भी पत्रकारिता में स्वीकार किया गया तो मुझ में कौन सा बड़ा भारी दोष है।
प्रश्न : – फिर भी गुरु एक बार और सोच लो
गुरु:- सोचना क्या है जब नून तेल बेचने वाले से लेकर भूमाफिया, पुलिस के दलाल से लेकर अड़ीबाजी, बेकार से लेकर दारूबाज, जैसे तक बन सकते है तो मैं क्यो नही बन सकता।
प्रश्न: – एक सवाल और गुरु ?
गुरु:- अब बहुत सवाल हो गए अब जरा मीडिया सेंटर जाने दो टाइम हो रहा कुर्सी तोड़ने का।
( नोट: इसका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई लेना देना नही, यह महज एक सटायर है पढ़े और मजा ले, दिल पर बिल्कुल न ले, वास्तविक हालात से भी ज्यादा खराब हो चुके)
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