*डर लगता है*
*आमाशय* को डर लगता है जब आप सुबह का नाश्ता नहीं करते हैं।
*किडनी* को डर लगता है जब आप 24 घण्टों में 10 गिलास पानी भी नहीं पीते।
*गाल ब्लेडर* को डर लगता है जब आप 10 बजे रात तक भी सोते नहीं और सूर्योदय तक उठते नहीं हैं।
*छोटी आँत* को डर लगता है जब आप ठंडा और बासी भोजन खाते हैं।
*बड़ी आँतों* को डर लगता है जब आप तैलीय मसालेदार मांसाहारी भोजन करते हैं।
*फेफड़ों* को डर लगता है जब आप सिगरेट और बीड़ी के धुएं, गंदगी और प्रदूषित वातावरण में सांस लेते है।
*लीवर* को डर लगता है जब आप भारी तला भोजन, जंक और फ़ास्ट फ़ूड खाते है।
*हृदय* को डर लगता है जब आप ज्यादा नमक और केलोस्ट्रोल वाला भोजन करते है।
*पैनक्रियाज* को डर लगता है जब आप स्वाद और फ्री के चक्कर में अधिक मीठा खाते हैं।
*आँखों* को डर लगता है जब आप अंधेरे में मोबाइल और कंप्यूटर के स्क्रीन की लाइट में काम करते है।
और
*मस्तिष्क* को डर लगता है जब आप नकारात्मक चिन्तन करते हैं।
आप अपने तन के कलपुर्जों का पूरा- पूरा ख्याल रखें और इन्हें मत डरायें ।
ये सभी कलपुर्जे बाजार में उपलब्ध नहीं हैं। जो उपलब्ध हैं वे बहुत महँगे हैं और शायद आपके शरीर में एडजस्ट भी न हो सकें। इसलिए अपने शरीर के कलपुर्जों को स्वस्थ रखे।
*क्लींज़िंग करो और स्वस्थ रहो।
*प्राकृतिक खाओ पियो-मस्त रहो।।