पशुपालन मंत्री द्वारा प्रदेश के पहले बकरी पालन एवं उद्यमिता सम्मेलन का शुभारंभ
भोपाल :
बकरी उपयोगी पालतू पशु है। बकरियों के मध्य रहने से टीबी का मरीज ठीक हो जाता है। नींबू वृक्षों में बकरी मल का प्रयोग बम्पर क्रॉप देता है। बहुत कम स्थान में पलने वाली बकरी के माँस, खाल, दूध सभी से बकरी पालक को आय होती है। पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री प्रेम सिंह पटेल ने भोपाल में प्रदेश के पहले “बकरी पालन को प्रोत्साहन एवं उद्यमिता विकास हेतु पशुपालक सम्मेलन” का शुभारंभ कर संबोधित किया।
सफल बकरी पालकों ने दिये टिप्सशुरूआत शुद्ध नस्ल की 5-10 बकरी से करें, अनुभवी व्यक्ति से राय अवश्य लें।जरूरत पड़ने पर मिलती है बकरी दूध की अच्छी कीमत।साबुन, शेम्पू उत्पादक खरीदते हैं 200 से 500 रूपये प्रति लीटर बकरी दूध।कोरोना काल में भी बकरी माँस की कीमत एक भी दिन कम नहीं हुई।झाबुआ और मुम्बई में माँग के कारण एक ही दाम पर बिकता है मीट।बकरी पालन में भी है बीमा की आवश्यकता।वजन के कारण अच्छी नस्ल का बकरा न बेचें, वंश बढ़ायें।डिब्बा बंद मीट की डिमांड बढ़ रही है।सोशल मीडिया पर उपलब्ध गोट वाला डॉट कॉम, गोकुल एकानामिक्स आदि से जुड़ कर अद्यतन रहें। |
मंत्री श्री पटेल ने कहा कि आधुनिक तकनीक अपना कर पशुपालन विभाग के सहयोग से बकरी पालन करें और अच्छी आय अर्जित करें। उन्होंने बकरी पालकों को बैंक ऋण लेने में आ रही कठिनाइयों को दूर करने का आश्वासन दिया। प्रबंध संचालक एमपीसीडीएफ श्री तरूण राठी और राज्य कुक्कुट विकास निगम एवं पशुधन श्री एच.बी.एस. भदौरिया भी मौजूद थे।
पिछड़े जिलों से शुरू होगी कृत्रिम गर्भाधान योजना
अपर मुख्य सचिव पशुपालन एवं डेयरी श्री जे.एन. कंसोटिया ने कहा कि बकरी उत्पाद की माँग बाजार में बढ़ रही है। प्रदेश में उच्च नस्ल के बकरी वंश को बढ़ाने के लिये कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम चिन्हित जिलों से आरंभ कर जल्द ही पूरे प्रदेश में शुरू किया जाएगा। वैज्ञानिक तरीके से बकरी पालन और समय पर टीकाकरण, व्यवसाय को आगे बढ़ाने में मदद करेगा। श्री कंसोटिया ने सम्मेलन में भाग ले रहे विषय-विशेषज्ञों, पशु चिकित्सकों और बकरी पालकों से कहा कि परम्परागत गेहूँ, मक्का, गुड़ के विकल्प में बकरी का चारा तैयार करने पर मंथन करें। श्री कंसोटिया ने बताया कि कुक्कुट व्यवसाय को पिछले साल से पंजीकृत किया जा रहा है। अब बकरी पालन को भी पंजीकृत किया जायेगा।
वेटनरी काउंसिल ऑफ इण्डिया के अध्यक्ष डॉ. उमेश चन्द्र शर्मा ने कहा कि बकरी पालन में मध्यप्रदेश देश में पाँचवें स्थान पर और विश्व में भारत दूसरे स्थान पर है। बकरी की उच्च नस्ल के लिये कृत्रिम गर्भाधान बहुत जरूरी है। अच्छी नस्ल का बकरा एक से डेढ़ लाख रूपये में मिलता है। कृत्रिम गर्भाधान से पालक को यह सुविधा हिमीकृत स्ट्रॉ से मात्र 70 रूपये में उपलब्ध हो जायेगी।
प्रदेश में बकरी संख्या 38 प्रतिशत बढ़ी
संचालक डॉ. आर.के मेहिया ने कहा कि प्रदेश में पिछली पशु गणना के मुकाबले बकरी संख्या में 38 प्रतिशत की वृद्धि इस बात का प्रमाण है कि बकरी पालन के प्रति लोगों में रूझान बढ़ा है। कार्यक्रम में पं. दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय के डॉ. मुकुल आनंद और नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विश्व विद्यालय के विषय-विशेषज्ञों ने भी बकरी पालन के वैज्ञानिक तरीकों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। पिछले 22 साल से बकरी व्यवसाय कर रहे धार के श्री दीपक पाटीदार और देश-विदेश में नौकरी कर चुके टेलीकॉम इंजीनियर से आज सफल बकरी पालक बन चुके भोपाल के श्री हेमंत माथुर ने रोचक ढंग से अपनी सफलता की कहानियाँ साझा की। प्रदेश भर से आये पशुपालकों के प्रश्नों का भी समाधान कार्यक्रम में किया गया। उप संचालक डॉ. अनुपम अग्रवाल ने संचालन किया और संयुक्त संचालक डॉ. पटेल ने आभार माना।