10 नवंबर 2020
राज्यपाल ने 17 शिक्षाविदों को ज्योतिर्मय सम्मान से किया सम्मानित
राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा है कि बच्चों के अवगुणों को दूर कर, उनके सद्गुणों को निखार कर, उनका सर्वागीण विकास करना शिक्षक का काम है। सब ऐसा मिलकर करेंगे तो भारत विश्वगुरु बन जायेगा। श्रीमती पटेल आज राजभवन में आयोजित ज्योतिर्मय सम्मान समारोह को संबोधित कर रही थी। उन्होंने टी.बी. मुक्त प्रदेश का आव्हान करते हुए कहा कि 25 वर्ष की उम्र से कम आयु के रोगी बच्चों युवा को शिक्षक गोद लें। उनको पौष्टिक भोजन की उपलब्धता कराकर 5-6 माह, में उन्हें रोग मुक्त किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि कोविड-19 पश्चात उत्तर प्रदेश में लखनऊ में 1660 और काशी में 750 ऐसे रोगियों को लोगों ने गोद लिया है।
राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए माता-पिता से अधिक शिक्षक की भूमिका है। प्रत्येक बच्चे के संबंध में जानकारी रखना, उसकी समस्याओं के समाधान में सहयोग करना शिक्षक की जिम्मेदारी है। शिक्षको को शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन और सुधार के लिए प्रबंधन और प्रशासकों को अवगत कराना चाहिए। उत्तरप्रदेश में बच्चों की आयुगणना माह से पूर्व ही कक्षा में प्रवेश प्रारम्भ हो जाते है। ऐसी स्थिति में बच्चे काफी समय शिक्षण से वंचित हो जाते थे। निधारित माह में प्रवेश हेतु आयु पूर्ण करने वाले बच्चों को कक्षा में विद्यालय प्रारम्भ के समय प्रवेश देकर इस समस्या का समाधान हो गया। बच्चों को भारतीय संस्कृति, उसकी परंपराओं के गौरव से भी परिचित कराया जाना चाहिए। शिक्षकों के ऐसे प्रयास बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है।
श्रीमती पटेल ने कहा कि अंग्रेजी शासन व्यवस्था की स्थापना के बाद भी भारतीयों के स्वतंत्र अस्त्तिव को देखते हुए, अंग्रेजी शासकों ने व्यापक स्तर पर भारतीय शिक्षा व्यवस्था का अध्ययन कराया। अध्ययन में यह तथ्य सामने आया कि प्रत्येक गांव में स्कूल जैसी आधुनिक व्यवस्था नहीं थी। ऋषि के समान व्यक्ति होते थे, जिनके पास बच्चे जाते, उनसे ज्ञान प्राप्त करते थे। कुछ वहीं पर रहते भी थे। वहीं पर उनको पूरी शिक्षा मिलती थी। इन शिक्षकों की समस्त आवश्यकताएँ गांव के लोगों द्वारा पूरी की जाती थी। इस अध्ययन के बाद अंग्रेजी शासन ने क्लर्क बनाने वाली शिक्षा व्यवस्था को लागू कर दिया। उन्होंने गुजरात में भूकंप की आपदा उपरांत परीक्षा आयोजन के प्रसंग का उल्लेख करते हुए बताया कि पालकों द्वारा परीक्षा निरस्त करने की मांग कर रहे थे। उन्होंने प्रभावित क्षेत्र के 100 से अधिक विद्यालयों में जाकर बच्चों से चर्चा की, तो उन्होंने एक माह का समय लेकर परीक्षा आयोजित करवाने के लिए कहा। परीक्षा के परिणाम वैसे ही रहें जैसे पूर्व में होते थे। उन्होंने कहा कि बच्चों में विपरीत परिस्थतियों का सामना करने की क्षमता होती है। आवश्यकता उनके प्रतिभा को निखारने उत्साह, अनुशासन के गुणों के समावेश की है।
राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि नई शिक्षा नीति भारतीय संस्कृति के मूल्यों और आधुनिक जगत की आवश्यकताओं के अनुरुप बदलाव की पहल है, जिसमें आंगनबाड़ी से लेकर उच्च शिक्षा तक सभी पर व्यापक चिंतन और विमर्श कर व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि लखनऊ राजभवन में आंगनबाड़ी स्तर पर शिक्षा-शिक्षण की गतिविधियों का माड्यूल तैयार किया गया है। बच्चों, माताओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और पालक सभी की शिक्षा-शिक्षण के प्रशिक्षण पुस्तिका तैयार की गई है। महाकाव्य महाभारत के अर्जुन-सुभद्रा संवाद का उल्लेख करते हुए कहा कि गभार्वस्था में भी परिवार का वातावरण शिक्षु को प्रभावित करता है। इस आधार पर विदेशों में कार्य हो रहा है। दुर्भाग्यवश भारत में इसे भूल रहे हैं। पुस्तिका में इसी आधार पर ऐसी कविता, कहानी और खेलों का चयन किया गया है। जो बच्चों को नैतिक मूल्य, पर्यावरण, सद्भाव, सहयोग, साहस और अनुशासन सिखाएं। समान्य ज्ञान, गणित विज्ञान का ज्ञान दे। कहानी कविता के बाद बच्चों के साथ कैसे चर्चा करनी है। इन सबके संबंध में जानकारी दी गई है। उन्होंने बताया कि एक वर्ष प्रयोग के परिणामों का अध्ययन कर पुन: उनकी समीक्षा की जाएगी। शिक्षा विदों को इस दिशा में पहल के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन संपादक नई दुनिया/नवदुनिया श्री सद्गुरुशरण अवस्थी ने किया। आभार प्रदर्शन हेड ऑपरेशंस नई दुनिया/नव दुनिया श्री नरेश पान्डे ने किया। इसके पूर्व राज्यपाल का स्वागत नवदुनिया भोपाल संपादक श्री संजय मिश्रा ने किया। स्मृति चिन्ह यूनिट हेड नवदुनिया भोपाल श्री मानवेन्द्र द्विवेदी ने भेंट किया।