इलाहाबाद विश्वविद्यालय कुलपति चयन प्रक्रिया पर मंत्री को पत्र लिखकर विरोध जताया राज्यसभा सांसद

3 June 2020,

इलाहाबाद विश्वविद्यालय कुलपति चयन प्रक्रिया पर मंत्री को पत्र लिखकर विरोध जताया राज्यसभा सांसद

प्रयागराज । राज्यसभा सांसद कुवंर रेवती रमण सिंह ने पूर्व के आक्सफोर्ड कहें जाने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय में नये कुलपति चयन के लिए बनी सर्च-कम-सेलेक्शन कमेटी मे दागदार सदस्य के मनोनयन पर विरोध दर्ज करते हुए केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री को पत्र लिखकर अवगत कराया।

कि पूर्व कुलपति प्रो. सी.एल.खेत्रपाल के खिलाफ दायर याचिका writ-A/21386/1998 में माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से सम्बंधित एक प्रकरण में उनकी कार्य प्रणाली के विरुद्ध टिप्पणी करते हुए पचास हजार रुपये का अर्थ दण्ड निर्धारित किया था।

उनके द्वारा इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में की गई कतिपय अवैध नियुक्तियों को माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा निरस्त भी किया जा चुका है। यह जानकारी देते हुए निर्वतमान सपा जिलाउपाध्यक्ष विनय कुशवाहा ने बताया कि इसी प्रकार पूर्व कुलपति प्रो. सी.एल.खेत्रपाल द्वारा इलाहाबाद विश्वविद्यालय का कुलपति रहते हुए अनेक प्रकार के अवैध कार्यों में उनके द्वारा किए गए भ्रष्टाचार के विरुद्ध इसी विश्वविद्यालय के 29 प्राध्यापकों ने माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में एक जनहित याचिका(संख्या-12626/2000) दायर की थी।उन्होंने बताया कि याचिका दायर करने वाले कई शिक्षक आज भी विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं ।

यह भी ज्ञातव्य है कि वर्तमान में भी माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में एक याचिका प्रो. सी.एल.खेत्रपाल बनाम यूनियन आफ इण्डिया(writ-C/17545/2019, convert into writ-A/9308/2019) विचाराधीन हैं।

उन्होंने बताया कि पूर्व कुलपति प्रो. सी.एल. खेत्रपाल इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में पदस्थापित रहते हुए संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल इंस्टीट्यूट, लखनऊ के मानद निदेशक बने रहे तथा संस्था से अवैध रूप से अनेक लाभ और सुविधाएं भी प्राप्त करते रहे, जिसके विरुद्ध विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ आचार्य द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी और माननीय उच्च न्यायालय ने संज्ञान में भी लिया।

उन्होंने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में अपने कार्यकाल में कार्य परिषद की अध्यक्षता करने के बावजूद अवकाश के बाद निरन्तर कार्य परिषद के सदस्य बने रहने और अब कुलपति चयन कमेटी के सदस्य नामित होने के पीछे साजिश है कि प्रो.खेत्रपाल अपने अनुकूल व्यक्ति को कुलपति पद पर चयन करा कर अपने कार्यकाल के अवैधानिक कार्यों पर पर्दा डाल सकें।

इसलिए पूर्व के आक्सफार्ड की गरीमा को बनाए रखने के लिए निष्पक्ष कुलपति का चयन हो और दागदार सदस्य की जगह अच्छा ईमानदार योग्य व्यक्ति नामित किया जाय।

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