राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने पुरातत्व संग्रहालय उज्जैन के नवीन भवन और नई वीथिकाओं का भूमि- पूजन किया

    

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने पुरातत्व संग्रहालय उज्जैन के नवीन भवन और नई वीथिकाओं का भूमि- पूजन किया

भोपाल :

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने विक्रम कीर्ति मन्दिर उज्जैन स्थित पुरातत्व संग्रहालय परिसर में नवीन भवन सहित नई वीथिकाओं का आज भूमि-पूजन किया। भूमि-पूजन के बाद राज्यपाल श्री पटेल एवं उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने पुरातत्व संग्रहालय का निरीक्षण किया। सांसद श्री अनिल फिरोजिया, महापौर श्री मुकेश टटवाल, नगर निगम सभापति श्रीमती कलावती यादव उपस्थित थे।

उज्जैन विक्रम विश्वविद्यालय स्थित विक्रम कीर्ति मंदिर संग्रहालय में शहर के समृद्ध इतिहास के कुछ संग्रह हैं, जिसमें लगभग सभी अवधियों, शासकों की कलाकृतियाऐो हैं। संग्रहालय में प्रागैतिहासिक युग की 650 कलाकृतियां और 30 हजार दुर्लभ पाण्डुलिपियों का विशाल संग्रह है। संग्रहालय का वर्तमान भवन जीर्ण-शीर्ण है। स्मार्ट सिटी द्वारा संग्रहालय के जीर्णोद्धार तथा उन्नयन का कार्य किया जायेगा। प्रस्तावित कार्य में 1200 वर्गमीटर के नये भवन का निर्माण, 4500 वर्गमीटर के मौजूदा ढांचे का उन्नयन/नवीनीकरण और कलाकृतियों को प्रदर्शित करने के लिये नई गैलरी स्थापित करना, वातानुकूलन एवं आधुनिक भण्डारण/प्रदर्शन, प्रकाश व्यवस्था और ऑडियो/डिजिटल माध्यम से कलाकृतियों एवं पाण्डुलिपियों के बारे में जानकारी देना तथा जन-सुविधाएं विकसित करना आदि शामिल होंगे। उज्जैन स्मार्ट सिटी द्वारा मेसर्स दोशी कंसल्टेंट प्रा.लि. इन्दौर को कार्यादेश जारी किया जा चुका है।

पुरातत्व संग्रहालय भवन निर्माण सहित नई वीथिकाएं 14 करोड़ रुपये की लागत से बनाई जायेंगी। संग्रहालय को आने वाले दिनों में सरकार द्वारा 14 करोड़ रुपये की लागत से संवारने का कार्य किया जायेगा। इनमें संग्रहालय को अत्याधुनिक रूप देने एवं संरक्षित प्रतिमाओं और अवशेषों को संरक्षित रखने के कार्य किए जाएगें। पुरातत्व संग्रहालय में रखी पुरातात्विक धरोहरों, पांच लाख साल पुराना विश्व प्रसिद्ध हाथी का मस्तक, गेंडे का सींग, दरियाई घोड़े का दांत, जंगली भैंसे का जबड़ा एवं अन्य 200 जीवाश्म तथा अन्य अवशेषों को विभिन्न वीथिकाओं में बखूबी प्रदर्शित किया जायेगा।

संग्रहालय में भीम बैटका के पुरातात्विक उत्खनन में डॉ.विष्णु श्रीधर वाकणकर द्वारा एकत्रित आदि मानव द्वारा निर्मित प्रस्तर औजारों को भी प्रदर्शित किया जायेगा। उज्जैन के राजा चंडप्रद्योत के काल में निर्मित लकड़ी की दीवार एवं बंदरगाह के अवशेष के रूप में गढ़कालिका क्षेत्र स्थित शिप्रा नदी के तट से प्राप्त 10 लट्ठे, जो कि 2600 वर्ष पूर्व के हैं, को भी संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा। उज्जैन के ग्रामीण क्षेत्रों में कायथा, महिदपुर, आजाद नगर, रूणिजा, सोडंग, टकरावदा के उत्खनन के साथ प्राप्त चार हजार वर्ष पुरानी पुरातात्विक सामग्री प्रदर्शित की जायेगी। इसके अलावा संग्रहालय में दुर्लभ प्रस्तर 472 प्रतिमाएँ जो कि मौर्यकाल से लेकर मराठाकाल तक की हैं को भी नवनिर्मित वीथिकाओं में प्रदर्शित कर संग्रहालय को समृद्ध बनाने की योजना बनाई गई है। प्रथम चरण में 7.5 करोड़ रुपये की लागत से भवन निर्माण तथा 6.5 करोड़ रुपये की लागत से इंटीरियर कार्य कराया जायेगा।

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