महिलाओं को घर और कार्यस्थल पर सुरक्षित और गरिमापूर्ण वातावरण मिले

    

महिलाओं को घर और कार्यस्थल पर सुरक्षित और गरिमापूर्ण वातावरण मिले

जेंडर आधारित हिंसा कड़ाई से रोकी जाये
महिला हेल्पलाइन नम्बर 112 और सायबर सेल नम्बर 1930

भोपाल :

महिलाओं को सामाजिक स्तर पर घर, कार्य-स्थल और सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षित एवं गरिमापूर्ण वातावरण मिलना चाहिये। साथ ही जेंडर आधारित हिंसा को कड़ाई से रोका जाना चाहिये। इसके लिये जागरूकता के साथ संबंधित कानूनी प्रावधानों में कार्यवाही भी जरूरी है। देश में जेंडर आधारित हिंसा के खिलाफ राष्ट्रीय अभियान चलाया जा रहा है, जो 23 दिसम्बर तक चलेगा।

मुख्य कार्यपालन अधिकारी राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन श्री एल.एम. बेलवाल ने यह जानकारी जेंडर आधारित हिंसा के खिलाफ राष्ट्रीय अभियान के क्रियान्वयन संबंधी कार्यशाला में दी। मध्यप्रदेश डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन कार्यालय में हुई कार्यशाला में राज्य परियोजना प्रबंधक सुश्री अनीता वात्सल्य ने कार्यशाला का संचालन किया। स्कूल शिक्षा, सामाजिक न्याय और नि:शक्तजन कल्याण सहित अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।

कार्यशाला में बताया गया कि कार्य-स्थल पर महिलाओं को सुरक्षा देने के लिये महिला यौन उत्पीड़न निषेध रोकथाम निवारण अधिनियम-2013 (POSH ACT) क्रियाशील है। सभी विभाग में समितियाँ गठित की गई हैं। संबंधित विभागीय अधिकारी सुनिश्चित करें कि समितियाँ प्रभावी रूप से कार्य करें।

जेंडर आधारित हिंसा को रोकने के लिये यह आवश्यक है कि उसे समझा और पहचाना जाये, उसके खिलाफ आवाज उठाई जाये, उससे निपटने के लिये समर्थन लिया जाये और लिंग आधारित हिंसा से लड़ रहे लोगों के प्रति एकजुटता और समर्थन दिखाया जाये। इस संबंध में हेल्पलाइन नम्बर 112, सायबर सेल नम्बर 1930, परामर्श सेवा, मनोचिकित्सक सहायता एवं वन स्टॉप सेंटर का प्रचार-प्रसार एवं जागरूकता आवश्यक है।

लैंगिक असमानता दूर करने के लिये प्रदेश में संस्थागत व्यवस्था की गई है। जेंडर सखी, जेंडर फोरम, स्व-सहायता समूह, ग्राम संगठन, संकुल स्तरीय संगठन, लोक अधिकार केन्द्र (19) और नारी अधिकार केन्द्र (34) कार्य कर रहे हैं।

स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा विद्यालयों में लिंग आधारित हिंसा, बाल-श्रम, बाल-विवाह आदि विषयों पर परिचर्चा, निबंध लेखन, वाद-विवाद प्रतियोगिता, प्रभात-फेरी, ‘बैड टच-गुड टच’ पर कार्यशाला सहित अन्य गतिविधियाँ की जायें। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा फर्स्ट लाइन ट्रीटमेंट और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी जानकारी दिये जाना, पुलिस विभाग द्वारा महिला हिंसा के प्रकरणों में संवेदनशीलता से कार्यवाही, अनुसूचित जाति, जनजाति कल्याण विभाग द्वारा संबंधित क्षेत्रों में जागरूकता तथा सामाजिक न्याय और नि:शक्तजन कल्याण विभाग द्वारा नशामुक्ति अभियान आदि गतिविधियाँ की जायें। जनसम्पर्क विभाग द्वारा जागरूकता गतिविधियों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जायेगा।

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